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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

किसी हॉकी खिलाड़ी को भी फुटबाल खिलाड़ी एंड्रीज इस्कोबार जैसा दुर्भाग्य झेलना पड़ सकता है


रक्षकटीम को रोकनी होगी हर गेंद
हॉकी में 'सेल्फ गोल' का नियम 
  - बीजी जोशी
फुटबॉल विश्व कप (1994) खेलप्रेमियों को अभी तक याद होगा । कोलंबिया के रक्षक एंड्रीज इस्कोबार ने अपने ही गोल में गेंद भेजकर टीम को अमेरिका के विरूद्व पहले ही राउंड में पराजित करा दिया था । कैलिफोर्निया राज्य के लॉस एजिंल्स शहर के रोज बाउल स्टेडियम में 22 जून को यह मैच खेला गया था। इस मैच के एक माह बाद ही इस्कोबार को जान से हाथ धोना पड़ा था। कोलंबियाई फुटबॉल प्रेमी ने उन्हें गोली मार दी थी। ऐसा ही दुर्भाग्य अब हॉकी खिलाड़ियों को भी झेलना पड़ सकता है ।
 

  अतंरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ नए वर्ष (1 जनवरी 2013) से "सेल्फ गोल" का नियम (नंबर 8) प्रभावी कर रहा है । अभी तक स्ट्राइकिंग सर्किल यानी "डी" के अंदर से अटैकर द्वारा गोल में गेंद भेजने पर ही गोल मान्य है । अब "डी" के बाहर से भी सर्किल में भेजी गई गेंद यदि डिफेंडर या गोली से लगकर गोल में चली गई तो "सेल्फ गोल" दर्ज होगा ।

नियम 7.4 के अंतर्गत अभी तक "डी" के बाहर से अटैकर द्वारा खेली गई गेंद (अ) सर्किल में बिना किसी की स्टिक छूए गोल में जाती थी, तो रक्षक टीम को 16 गज की फ्री हिट मिलती थी। (ब) यदि गेंद किसी रक्षक की स्टिक से सहज लगकर गोल में जाती थी तो अटैकर टीम को कॉर्नर दिया जाता था। (स) यदि गेंद को रक्षक या गोली द्वारा जानबूझकर गोललाईन के पार भेजी जाता था, तो अटैकिंग टीम को पेनल्टी कॉर्नर अवॉर्ड किया जाता था।

दले हुए नियम से रक्षक टीम को "डी" के बाहर से गोल में घुस रही हर गेंद को रोकना होगा यानी रक्षक व गोली से गहरे दबाव में उच्चतम कौशल की मांग । धीमे रिफ्लेक्सेस, ग्राउंड पर स्टिक रखकर झुककर गेंद पर नजर नहीं रखने वाले रक्षक टीम पर बोझ बनेंगे । सेल्फ गोल के चिराग से अपना ही आशियाना फूंकने की नादानी से बचने हेतु भारतीयों को अभी से इस नियम के अनुरूप अपने खेल को ढालना होगा।