@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति

बुधवार, 15 सितंबर 2010

हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति

हिन्दी के बारे में स्वयं हिन्दी भाषियों में बहुत से भ्रम स्थापित हैं। जरा निम्न तथ्यों पर गौर कीजिए। शायद आप के कुछ भ्रम दूर हो जाएँ, जैसे मेरे हुए।


१. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है,
२. वह सबसे अधिक सरल भाषा है,
३. वह सबसे अधिक लचीली भाषा है,
४, वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं।
५. वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।
६. हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
७. हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासमार्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
८. हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
९. हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
१०. हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मुहताज नहीं रही।
११. हिन्दी भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन है।
१२. हिन्दी भारत की सम्पर्क भाषा है।
१३. हिन्दी भारत की राजभाषा है।


  • यह पोस्ट पूरी तरह से विकिपीडिया से उड़ाई गई सामग्री पर आधारित है।  

15 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत सटीक गुण। हम स्वयं ही अपनायें, इन विशेषताओं को।

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

कुछ भ्रम दूर हुए...कुछ पैदा हुए...
यह हमारी भाषा है...यही काफ़ी है...

बेहतर...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक और सार्थक पोस्ट ..

राज भाटिय़ा ने कहा…

मुझे ओर मेरे परिवार को तो इस भाषा से कोई शिकायत नही, सब से सम्मान देने वाली ओर, मधुर भाषा हिन्दी ही है, बहुत अच्छी लगी आप की पोस्ट

Abhishek Ojha ने कहा…

भाषा, धर्म, देश इत्यादि अपने सबको प्रिय होते हैं तो हिंदी हमें आवश्य ही प्रिय है पर क्या ऐसा नहीं कि अहिन्दी भाषियों के लिए ठीक इसी तरह उनकी भाषा भी उनके लिए प्रिय, सुगम इत्यादि होगी?

अजित वडनेरकर ने कहा…

यह भाषा मुझे प्रिय है और जो कुछ हूं इसी के बलबूते पर हूं। लोग लाख कहें कि हिन्दी सिर्फ सम्पर्क भाषा बनकर रह गई है, इससे रोज़ी नहीं चलती। पर मेरी रोज़ी इससे ही चल रही है और अन्य करोड़ों लोगों की भी। गहराई से विचार कर देखें। हिन्दी में बहुत ताक़त है। आज यह दूसरी सबसे बड़ी भाषा है।

Udan Tashtari ने कहा…

विकि से उड़ाई तो भी बेहतरीन सामग्री उड़ाई, इस हेतु बधाई.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

@अभिषेक ओझा
निस्सन्देह आप की बात सही है। मुझे अपनी माँ प्रिय है तो इस का अर्थ यह तो नहीं कि उस से अधिक विदुषी, गुणी और सुंदर माताएँ और नहीं हैं।
लेकिन यहाँ सारी बातों को दुनिया की सभी भाषाओं के साथ तुलना कर के भी देखा जाना चाहिए कि हिन्दी की शक्ति क्या है।

उम्मतें ने कहा…

हाहाहा...विकीपीडिया से उड़ाई हुई ?
उन्होंने भी ज़रूर कहीं से उड़ाई होगी :)
इसलिए उड़ानें के बोध मुक्त होईये !

Majaal ने कहा…

विश्व भाषा बनाना तो अंततः प्रचार का ही खेल है, जैसे अशोक महाराज ने बौद्ध धरम का प्रचार किया, वैसे ही हिंदी की मार्केटिंग के लिए कोई इस तरह का बंदा या गुट भीड़ जाए तो बात बने.. वैसे तो हिंदी फिल्में ये काम बहुत बढ़िया तरीके से कर ही रही है...
अच्छा संकलन ..

Arvind Mishra ने कहा…

मुझे तो कुछ भ्रम हो गया है -हिन्दी किस देश में बोली जाती है ?

रचना दीक्षित ने कहा…

सार्थक पोस्ट .

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इतनी सशक्त और गरिमामय आलेख को कोई महाताऊ ही उडा सकता है. हमें तो आप पर गर्व है. इसके लिये आपको महाताऊश्री अलंकरण समय आने पर प्रदान किये जाने की घोषणा की जाती है.

रामराम.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

इतनी विशेषताएं !!!!!! फिर भी राजभाषा व राष्ट्रभाषा बनने में सक्षम नहीं :)

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अच्छा लगा हमारी हिंदी भाषा की विशेषताएं जानकर...
धन्यवाद