@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: हो सकता है राजस्थान सरकार को अब शर्म आए

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

हो सकता है राजस्थान सरकार को अब शर्म आए

 ज अखबारों में खबर थी .....

कोटा न्यायालय होगा ऑनलाइन

कोटा. राजस्थान के अन्य न्यायालयों के साथ ही अगले वर्ष मार्च तक कोटा न्यायालय भी ऑनलाइन हो जाएगा। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश भार्गव ने बताया कि अभी वर्तमान में मुख्य जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर सेशन न्यायालय एवं जयपुर खंडपीठ हाईकोर्ट ऑनलाइन किया हुआ है।
आगामी मार्च 2011 तक पूरे राजस्थान के न्यायालय के साथ-साथ कोटा जिले की सभी न्यायालयों में कम्प्यूटर लगा दिए जाएंगे। प्रकरणों के फैसले, नकलें, कॉज लिस्ट सहित अन्य न्यायिक कामकाज कम्प्यूटर के जरिए पूरे होंगे।
उन्होंने बताया कि कोटा न्यायालय में बिजली फिटिंग का कार्य तेजी से चल रहा है। प्रत्येक कोर्ट में चार-चार कम्प्यूटर व प्रिंटर लगाए जाएंगे। एक-एक कम्प्यूटर स्टेनो, रीडर एवं क्लर्क को दिए जाएंगे। न्यायिक कर्मचारियों को कम्प्यूटर की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
 अब इस खबर को पढ़ कर मुझे प्रसन्नता होनी चाहिए थी। हुई भी, कि चलो अब कुछ तो काम तेजी से होने लगेगा। अभी तो आलम ये है कि मुकदमे में फैसला हो जाता है, अक्सर दो-तीन दिन  बाद, जब वह टाइप हो जाता है और जज द्वारा उस की एक एक हिज्जे जाँच कर दस्तखत कर दिए जाते हैं तब पढ़ने को मिलता है। अब तुरंत पढ़ने को मिलने लगेगा। किसी मुकदमे की तारीख और नंबर तलाश करने में पसीना आ जाता है। निर्णयों और अन्य दस्तावेजों की नकलें लेने में सप्ताह भर लग जाता है। शायद अब इस समय में कटौती हो जाए और काम तुरंत होने लगे। निश्चित रूप से कंप्यूटर अदालत के कामकाज को बेहतर और तेज करेगा।
कंप्यूटर लगाने के लिए अदालत में और जजों के चैम्बरों में लाइन की फिटिंग हो रही है।  यह सब हो रहा है केंद्र द्वारा कंप्यूटरों की स्थापना के लिए दिए गए अनुदान से। लेकिन तभी मेरा ध्यान यहाँ के श्रम न्यायालय की ओर गया। इस न्यायालय में करीब 4000 हजार मुकदमे में हैं और एक वरिष्ठ उच्च न्यायिक सेवा अधिकारी यहाँ पद स्थापित किया जाता है। लेकिन इस अदालत को इस की स्थापना 1978 के समय दो मैनुअल टाइपराइटर प्रदान किए गए थे, अब तक उन्हीं से काम चलाया जा रहा है। एक टाइपराइटर की उम्र 15 से 20 वर्ष से अधिक की नहीं होती। यदि उस से लगातार काम लिया जाए तो वह इतने वर्ष भी नहीं चल सकता। लेकिन इस अदालत का स्टॉफ उसी से काम चला रहा है। 
दिन में अदालत के निजि सहायक मुझे मिल गए। मैं ने पूछा अपनी अदालत में कंप्यूटर कब आ रहे हैं? तो वे बड़ी मायूसी से कहने लगे कि छह साल हम को कंप्यूटरों के लिए राज्य सरकार को लिखते हो गए हैं। श्रम विभाग वित्तीय स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को लिख देता है वहाँ से स्वीकृति नहीं मिलती। मैं ने राज्य की दूसरे श्रम न्यायालयों के लिए पूछा तो वे बता रहे थे कि जयपुर के श्रम न्यायालय के सभी टाइपराइटर टूट गए तो राज्य सरकार ने वहाँ एक कंप्यूटर दिया है। वाकई स्थिति बहुत निराशा जनक है। हो सकता है अब जब सब से निचले न्यायालय में भी चार-चार कंप्यूटर स्थापित हो जाएँ तब शायद राजस्थान सरकार को भी शर्म आने लगे और और वह अपने अधीनस्थ न्यायालयों में भी कंप्यूटर स्थापित करे और इन में भी काम की गति और गुणवत्ता में कुछ सुधार हो सके।

9 टिप्‍पणियां:

अजित वडनेरकर ने कहा…

सचमुच शर्मनाक।
खबर कुछ, जमीनी सचाई कुछ। दरअसल यह खबर तो सरकारी थी, अखबारों के संपादकों को चाहिए था कि ज़मीनी सचाई की हाहाकारी खबर छापें, मगर वे ऐसा क्यों करने लगे।

Udan Tashtari ने कहा…

सुनकर लगा कि वाकई निराशाजनक स्थिति है..देखिये, कब हालात सुधरें.

विष्णु बैरागी ने कहा…

पण्डिज्‍जी! आपके आशावाद पर कुर्बान। आप उम्‍मीद कर रहे हैं कि सरकार को शर्म आएगी। सरकार और शर्म? यह तो वैसी ही बात हुई जैसे आप चील के घोंसले में गोश्‍त सुरक्षित रखे होने की उम्‍मीद करें।
भगवान करे, आपका आशावाद पुल्‍लवित, पुष्पित हो।

उम्मतें ने कहा…

निराशाजनक ...जबकि अधिकारियों की निज सेवा में मारे मारे फिर रहे होंगे कंप्यूटर !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अगर सरकार और ताऊओं को शर्म आने लग जाये तो इनके नाम बदलने पडेंगे. असली सरकार और असली ताऊओं को शर्म नहीं आया करती.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अगर सरकार और ताऊओं को शर्म आने लग जाये तो इनके नाम बदलने पडेंगे. असली सरकार और असली ताऊओं को शर्म नहीं आया करती.

रामराम.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

आशा ही जीवन है...

Arvind Mishra ने कहा…

यहाँ तो बड़ी देर है .....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पता नहीं क्यों जब सब जानते है कि कम्प्यूटर लगाने से लाभ होगा तो तत्परता क्यों नहीं दिखाते हैं ।