@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: एक लोक गायक का गीत राजस्थानी लोकवाद्य रावणहत्था के साथ

बुधवार, 31 मार्च 2010

एक लोक गायक का गीत राजस्थानी लोकवाद्य रावणहत्था के साथ

रावण हत्था राजस्थान का एक लोक वाद्य है जो बांस के एक तने पर नारियल के खोल, चमड़े की मँढ़ाई और तारों की सहायता से निर्मित किया जाता है। पश्चिमी राजस्थान के पर्यटन स्थलों पर इस वाद्य को बजाने वाले आप को आम तौर पर मिल जाएंगे। लेकिन इस वाद्य की संगत में गाने वाला लोक गायक कभी अदालत में मुझ तक पहुँच जाएगा और हमें मंत्र मुग्ध कर देगा मैं ने ऐसा सोचा भी नहीं था।

पिछले वर्ष 30 मई को जब मैं कोटा जिला न्यायालय परिसर मैं अपने स्टाफ के साथ बैठा था तो वहाँ एक लोकगायक आया। यह लोक गायक अपने गीतों को राजस्थानी तार वाद्य रावणहत्था को बजाते हुए गाता था। उस ने दो-तीन गीत हमें सुनाए। एक गीत को मेरे कनिष्ट अभिभाषक रमेशचंद्र नायक ने अपने मोबाइल पर रेकॉर्ड कर लिया था। आज उस गीत को फुरसत में मेरे दूसरे कनिष्ट नंदलाल शर्मा मोबाइल पर सुन रहे थे। मुझे भी आज वह गीत अच्छा लगा। मैं उसे रिकॉर्ड कर लाया। यह गायक जिस का नाम मेरी स्मृति के अनुसार बाबूलाल था और वह राजस्थान के कोटा, सवाईमाधोपुर व बाराँ जिलों के सीमावर्ती मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के किसी गाँव से आया था। 
हाँ वही रिकॉर्डिंग प्रस्तुत है। इसे आप-स्निप से डाउनलोड कर सुन सकते हैं। साथ में प्रस्तुत हैं यू-ट्यूब खोजे गए रावण हत्था के दो वीडियो। 

Rawanhattha
Rawanhattha.amr
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12 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

कर्णप्रिय ,कुछ कुछ नोस्टालजिक -कहीं पिछ्ला जन्म वहीं तो नहीं हुआ था ? रावण हत्था के नामकरण पर भी कुछ सोचा ?

अजय कुमार झा ने कहा…

सर इस यंत्र के बारे में आज ही आपकी पोस्ट से पता चला ..जानकारी के लिए धन्यवाद आपका बहुत बहुत
अजय कुमार झा

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर धुन पहली धुन मै जब मजा आने लगा तो विडियो ही खात्म हो गया,
आप का धन्यवाद

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

आप भाग्यशाली हैं जो ऐसी लोक संस्कृति आज अभी भी वहाँ जिन्दा है ,सुन्दर प्रस्तुति ,आभार.

विष्णु बैरागी ने कहा…

सुपरिचित इस वाद्य के बारे में एक बार फिर जानना अच्‍छा लगा। अज्ञात तकनीकी कारणों से वीडियो का आनन्‍द तो नहीं ले सका (वीडियो खुला ही नहीं) किन्‍तु इसका प्रत्‍यक्ष आनन्‍द अनेक बार ले चुका हूँ। उन स्‍मृतियों से ही एक बार फिर आनन्‍दानुभूति हुई।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

वकील साहब,
थ्हे चोखी जानकारी कराई,
ईं रे सागे आज म्हे तो कालबेलिंयाँ रो नाच भी देख लि्यो।
घणों ई मजो लियो सा।

राम राम

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत पुराने समय मे लौटा लेगये आप. हमारे गांव मे भी कुछ जोगी संप्रदाय के गाने वाले आया करते थे जो ये रावणहत्था बहुत ही मधुर स्वर में बजाया करते थे.

रामराम.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही ज्ञानवर्धक । नाम का उद्गम क्या है ।

Gyan Darpan ने कहा…

जोधपुर के मंडोर उद्यान और जसवंत थड़ा पर जब भी जाना होता है इस वाद्य यंत्र से संगीत सुने बिना रहा ही नहीं जाता |

गांव में अब भी भोपा लोग रावण हत्था लेकर नाचते गाते है |

''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल ने कहा…

upyogi aur jaruree lekhan hai. kalaaparak aur bhee likhate rahen.h hamaaree ruchee se yahaa aage bhee aate rahenge

Smart Indian ने कहा…

जानकारी और संगीत वीडियो के लिए धन्यवाद. आनंद आ गया. अगर कलाकार का नाम भी पता लग जाता तो क्या खूब होता.

Smart Indian ने कहा…
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