@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: भाजपा की गुटबाजी और अंतर्कलह के कारण के कारण काँग्रेस की पौ-बारह

गुरुवार, 12 नवंबर 2009

भाजपा की गुटबाजी और अंतर्कलह के कारण के कारण काँग्रेस की पौ-बारह

ल जैसे ही नामांकन का दौर समाप्त हुआ। मौसम बदलने लगा। अरब सागर से उत्तर की ओर बढ़ रहे तूफान का असर कोटा तक पहुँच ही गया। बादल तो सुबह से थे ही, शाम को बूंदा-बांदी आरंभ हो गयी। रात को भी कम-अधिक बूंदा-बांदी होती रही। सुबह उठा तो बाहर नमी और शीत थी, साथ में हवा थी। मैं अखबार ले कर दफ्तर में बैठा तो दरवाजा खुला रख कर बैठना संभव नहीं हुआ। उसे बंद करना ही पड़ा। मेरे अपने वार्ड से एक वकील साथी ज्ञान यादव को काँग्रेस से टिकट मिला है। मैं ने अखबार में नाम देखना चाहा तो वहाँ मेरे  वार्ड से पर्चे भरने वाले काँग्रेस प्रत्याशी का उल्लेख ही नहीं था। और भी कुछ वार्डों के प्रत्याशियों के नाम गायब थे। इतने में ज्ञान टपक पड़े। मुझ से मोहल्ले की स्ट्रेटेजी समझने के लिए। मैं  ने अपने हिसाब से उन्हें सब कुछ बताया। मैं ने उन से सोलह तारीख तक मुक्ति मांग ली कि मैं बाहर रहूँगा।

सबूतों पर चटका लगाएँ
महापौर के लिए अरूणा-रत्ना मैदान में

अंतिम दिन के पहले तक सब से बड़ा सस्पैंस इस बात का रहा कि महापौर पद की उम्मीदवार कौन होंगी। आखिर सुबह के अखबारों से खबर लगी कि घोषणा करने की पहल काँग्रेस ने की। उस ने नगर की एक महिला चिकित्सक रत्ना जैन को अपना उम्मीदवार बनाया। उम्मीदवार होने तक वह पार्टी की साधारण सदस्या भी नहीं थी। जब उसे बताया गया कि उसे चुनाव लड़ना है तो वह अपने अस्पताल में मरीज देख रही थी। कोई पूर्व राजनैतिक जीवन नहीं होने के कारण उस की छवि स्वच्छ है। अपना स्वयं का अस्पताल होने से प्रशासन का अनुभव भी है। अस्पताल सस्ता है और निम्न से मध्यम वर्ग के लोगों को उत्तम चिकित्सा प्रदान करता है। स्वयं उन के और उन के बाल रोग विशेषज्ञ पति के लोगों के प्रति विनम्र और सहयोगी व्यवहार के कारण वे नगर में लोकप्रिय हैं। काँग्रेस ने अपने सदस्यों के स्थान पर उन्हें महापौर का प्रत्याशी बना कर पहले ही लाभ का सौदा कर लिया है। भाजपा ने अपनी बीस वर्षों से सदस्या रही अरुणा अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। लोग उन्हें जानते हैं। लेकिन राजनैतिक जीवन के अतिरिक्त उन की कोई अन्य उपलब्धि नहीं रही है। वे बीस वर्षों में अपना कोई स्वतंत्र व्यक्तित्व नहीं बना सकीं। इस कारण वे डॉ. रत्ना जैन से उन्नीस ही पड़ती हैं। यदि उन्हें जीतना है तो उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। इन दो उम्मीदवारों के अलावा चार और भी महापौर के पद के लिए उम्मीदवार हैं जिन में एक बसपा की हैं।

गता है कि इस बार भाजपा राष्ट्रीय स्तर से ले कर स्थानीय स्तर तक गुट युद्ध की शिकार है। अंतिम समय पर महापौर और पार्षदों के प्रत्याशी चुने जाने का नतीजा यह हुआ कि भाजपा प्रत्याशी की चुनावी रैली फीकी रही। बहुत से महत्वपूर्ण व्यक्ति उन की रैली से गायब रहे और गुटबाजी का सार्वजनिक प्रदर्शन हो गया। प्रमुख नेताओं ने यहाँ तक कह दिया कि जिन ने टिकट दिया है वही प्रत्याशी को जिता ले जाएंगे। 
सबूतों पर चटका लगाएँ 



पैदल निकाली नामांकन रैली, बडे नेता रहे गायब
चतुर्वेदी समर्थकों का वर्चस्व
 इस सारी परिस्थिति ने काँग्रेस को उत्साह से भर दिया है। उन के सांसद ने भाषण दिया कि 'जीत के लिए करें पूरी मेहनत' लेकिन फिर भी नहीं थमा बगावत का दौर  दोनों दलों के कुल मिला कर 79 बागी चुनाव मैदान में उतर ही गए। लेकिन भाजपा के बागी तो लगभग हर एक वार्ड में मौजूद हैं, जब कि काँग्रेस के केवल सोलह में।
चुनाव प्रचार का आरंभ आज से हो जाना था। लेकिन सुबह से हो रही बरसात ने उस को बाहर न आने दिया। अदालत में जिस तंबू में वकीलों का क्रमिक भूख हड़ताल करने वालों का दल बैठता था वह बरसात में तर हो गया। भूख हड़तालियों को अदालत के अंदर जा कर टीन शेड के नीचे शरण लेनी पड़ी। एक तो हड़ताल और ऊपर से बरसात। अदालत में कोई नजर नहीं आया। हमने अपने मित्रों को अदालत में न पाकर फोन किए तो पता लगा वे घरों से आए ही नहीं थे। दिन भर की बरसात ने सरसों और गेहूँ की खेती करने वालों के चेहरों पर रौनक पैदा कर दी है। मैं सोच रहा हूँ कि कल सुबह तक तो बरसात रुकेगी और सुबह घनी धुंध हो सकती है। पर दोपहर तक धूप निकल आए तो अच्छा है। परसों सुबह आरंभ होने वाली मेरी यात्रा ठीक से हो सकेगी।

चित्र में डॉ. रत्ना जैन अपने समर्थकों के बीच, चित्र  दैनिक भास्कर से साभार

10 टिप्‍पणियां:

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

चहुँदिश हाहाकार मचा है ...

एक खबर सबमें दुहराई जाती है (!) |

अच्छा लगा ... ...

Udan Tashtari ने कहा…

आपकी यात्रा के लिए मंगलकामनाएँ.

Khushdeep Sehgal ने कहा…

द्विवेदी सर,
जिस पार्टी मे शीर्ष स्तर पर ही ये उधेड़बुन हो कि किसे आगे चलकर पार्टी का नेतृत्व करना है, उसका ये हश्र नहीं होगा तो क्या होगा...
जय हिंद...

रंजन (Ranjan) ने कहा…

देखे जी जनता किसे चुनती है....

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

अब तो एक ही राष्ट्रीय पार्टी रह गई है.... बाकी जो बचा था काले चोर ले गए :)

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

भाजपा में जो गुटबाजी और अन्तर्कलह दिखायी दे रहा है वह ऊपर से टपक रहा है। राजनाथ सिंह जैसा गुटबाज, जातिवादी, संकुचित सोचवाला जिलास्तरीय नेता आज राष्ट्रीय अध्यक्ष बना बैठा है। इससे अधिक विडम्बना क्या हो सकती है। शेष लोग तो अपने नेता जी के नक्शे कदम पर चल भर रहे हैं।

Unknown ने कहा…

साम्प्रदायिकता से लड़-लड़कर सेकुलर रणबाँकुरों ने उसे धराशायी कर दिया है, अब कहते हैं सशक्त विपक्ष होना चाहिये। उधर महंगाई और मधु कोड़ा को पाल-पोसकर बड़ा करने वाली कांग्रेस की जय-जयकार हो रही है… वाकई हमारा देश महान है…

roushan ने कहा…

भाजपा कभी अच्छा विपक्ष नहीं रही है .
आज तो खैर बिखरी हुई है.

निर्मला कपिला ने कहा…

देखो क्या होता है । भाजपा अब किसी काम की नहीं रही। आपको यात्रा के लिये शुभकामनायें

राज भाटिय़ा ने कहा…

सब से पहले तो आपको यात्रा के लिये शुभकामनायें!!
बाकी जीते कोई भी लेकिन इमान्दारी की शुरुआत तो हो कही से भी.....आज तक तो सब बेईमान ही आये है, जो इमान दार आया उसे भी इन बेईमानो ने बिगाड दिया.... शायद इमान दारी की शुरुआत डॉ. रत्ना जैन से ही हो.
आप ने बहुत सुंदर लिखा. धन्यवाद