@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: रावण कैसे मरे?

रविवार, 12 अक्तूबर 2008

रावण कैसे मरे?

रावण कैसे मरे? 
  • दिनेशराय द्विवेदी
इस साल नगर निगम ने 
रावण के पुतले के लिए 
ढाई लाख मंजूर किए। 

15% का रावण बना,
बाकी रकम गई 
महापौर, सीईओ, आयुक्त  
और बाबुओं की जेब में।

इलाके के मंत्री भी शामिल थे।
रावण मरा केवल 15%  
85% जिन्दा रहा।
 
आप बताएँ 
रावण कैसे मरे?

22 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

रावण कैसे मरे?
क्या बतायें; महापौर, सीईओ, आयुक्त और बाबुओं की जेबें फूंक दी जाये?! :-)

makrand ने कहा…

bahut achha vyang
regards
kabhi humri dustbin me tukiye
last ki do post
iskq ka pace maker
ramayan ravan
regards

एस. बी. सिंह ने कहा…

jab raavan hi raavan ko maarenge to raavan kyon maregaa. sateek rachanaa.

महेंद्र मिश्र.... ने कहा…

८५ प्रतिशत रावण लोगो के पेट में गया है इसीलिए मर गया होगा . अगले साल फ़िर से जिन्दा हो जावेगा. और जिन्होंने खाया है वे रावण के आचरण करेंगे.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!! सच है ऐसे तो रावण नही मरेगा।बहुत जबरदस्त व्यंग्य है।बधाई स्वीकारें।

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

हा हा हा हा हा हा !
कड़वा है पर सच 100%

या 15%........या 100%



व्यंग बड़ा चुटीला पर अत्यन्त सामयिक!

रंजू भाटिया ने कहा…

नही मरता तभी तो हर साल मारते हैं ..क्यों कि जेबे तो फ़िर खाली हो जाती है कुछ समय में :) बढ़िया व्यंग लिखा है आपने

अफ़लातून ने कहा…

बेहतरीन !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आज समझ आया की रावण इतने सालो से जलता आ रहा है पर मरता क्यूँ नही है ? १५ % साल में रिकवर हो जाता है ! तो मर ही नही सकता ! उपाय तो आदरणीय ज्ञानजी वाला ही करना पडेगा ! बहुत धन्यवाद इस व्यंग रचना के लिए !

Shastri JC Philip ने कहा…

ज्ञानदत्त जी ने सही रास्ता सुझा दिया है !!

राज भाटिय़ा ने कहा…

ज्ञानदत्त जी का उपाय उचित है, फ़िर रावण शायद मर जाये.
धन्यवाद

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Wah saheb kya vyangy hai. vaise gyan duttji ne upay sujha diya hai. darasal ram ke yug ke ravan se aaj ka bhrastachar ka ravan jyada khatarnak hai.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

रावण भी कहता होगा..
"ये ,सारे, मेरे नाम को फूंकते हैं ...

Arvind Mishra ने कहा…

रावण तब तब मरेगा जब जब राम उसे मारेंगे -नहीं तो इसी तरह वह बढ़ता जायेगा !

रंजन राजन ने कहा…

बहुत जबरदस्त व्यंग्य है। बधाई स्वीकारें।...
ज्ञानदत्त जी ने एक संभावित रास्ता सुझाया है। अगली पोस्ट में कोई माकूल रास्ता आप ही बताएं।...
वैसे रावण एक ही बार में मर जाएगा तो अगली पीढ़ी रावण बध के मेले का लुत्फ उठाने से वंचित रह जाएगी। फिर राम का क्या काम रह जाएगा??????

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

द्विवेदीजी ,ब्लागस्ते,दो बात कहने का लोभ छोड़ नही पाया ,गीता के दो श्लोकों में आईन्स्टाइन से बहुत पहले ही कहा था कि व्सृष्टि में कुछ नष्ट नही होता केवल उसका रूप ही बदलता है यथा 'मृत्यु को केवल यह शरीर प्राप्त होता है ,उसको
चलायमान रखने वाली ऊर्जा ,प्राण या आत्मा कहते है सनातन,शाश्वत है ,वह कभी नही मरती अतः मृत्यु के बाद आत्मा का पुनर्जन्म में नया शरीर प्राप्त करना उसी प्रकार है जैसे ,जीवित मनुष्य के वस्त्र बदलने कि प्रक्रिया होती है |
अब रावणठहरा महा बलशाली इतना कि यक्ष राज कुबेर से सोने कि लंका और पुष्पक विमान छीनलिया ;इसी प्रका र उसकी अआत्मा भी महा बलशाली उसके बाद सृष्टि ने इतना बल शाली शरीर बनाया ही नही कि उस की आत्मा को धारण कर सके अतः सृष्टी ने संतुलन करते हुए उसकी आत्म ऊर्जा को छोटे छोटे भागों में बाँट दिया " यह लोग उसी आत्मा को धारण किए हुए लोग हैं " |
और जबतक राम स्वयं रावण को जीते रहे गे तब तक रावण की आत्मा समाप्त नही होगी आप मेरेन्कहने का भाव आवश्य समझ गए होगें "जब लडके की शादी करनी होगी तो भर पूर दहेज़ और जब अपनी लड़की की बारी आई तो 'लडके वाले सा....' डकैत हैं नौकरी पेशा हो तो उपर की आमदनी कितीहै यह जानकारी पहले चाहिए वेतन पर ध्यान नही ....... कहाँ तक कहूंहर रा म अपने अन्दर एक रावन छिपाए घूम रहा है ,रावण रावण को थोड़े ही मारेगा ? जब तक कोई राम नही आजाते तब तक ऐसेही चलता राहे गा |
राम तभी जन्म लेंगे जब पहले कोई कौशल्या -दशरथ तो जनम ले कोई विश्वा मित्र तो आवे !!!
आईये हम इनसब के जन्म लेने के लिए वातावरण बनावें ज्ञान दत जी का उपाय व्यवहारिक नही है अतः दूसरों कोसुधारने के स्थान पर आईये "हम बदलें जग बदला : :हम सुधरें जग सुधरा |
वैसे रावण के बहाने आप ने युग की पीडा के गान को शब्द देकर सत्य कोमूर्त करदिया है अच्छा लगा बधाई हो ||\
anyonaasti.blogspot.com

जितेन्द़ भगत ने कहा…

रावण हमारे भीतर है, पहले अपने भीतर के रावण को मारे, फि‍र दूसरों को मारने की बात सोचे।

विवेक सिंह ने कहा…

रावण को पूरा का पूरा एक ही बार में मार देंगे तो अगले साल दशहरा कैसे मनेगा ?

pallavi trivedi ने कहा…

अगली बार ज्ञान जी की बात पर अमल करते हुए जेबों का दहन ही कर देते हैं....बहुत बढ़िया व्यंग्य किया आपने ....
!

डॉ .अनुराग ने कहा…

मुश्किल सवाल है वकील साहब !जब हल मिल जायेगा तब काफ़ी समस्या हल हो जायेगी

Abhishek Ojha ने कहा…

बड़े दान किए हैं रावण ने ऐसे नहीं मरने का. और ये अमृत तो बढ़ते ही जा रहा है... अगले साल १०% से ज्यादा नहीं मरेगा, अभी कहे देता हूँ.

विष्णु बैरागी ने कहा…

15 प्रतिशत तो 1984 तक जलता था - राजीव गांधी के राज तक । उसके बाद तो यह प्रतिशत और कम हो गया है । आप आशावादी हैं सो आपने 15 प्रतिशत का उदार आकलन कर लिया । रावण आपका आभारी होगा । :)