@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: ओले-ओले

रविवार, 2 दिसंबर 2007

ओले-ओले

सिर गंजा है इस लिए मुंढ़ाने की जरूरत नहीं और ओलावृष्टि से घबराना पड़ता हैब्लागिंग की शुरूआत में ही आईएमई रेमिंगटन की कलई खुल गई तीसरा खंबा की पहली पोस्ट उस का सबूत हैअब इस ब्लाग का टंकणकर्ता इस्क्रिप्ट पर हाथ मांज रहा है इस लिए आगामी पोस्टें गति पकड़ लेने पर ही देखने को मिलेंगीआशा है पाठक लम्बे अन्तराल के लिए क्षमा करेंगे
: दिनेशराय द्विवेदी

2 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

तीसरा खंबा वाली पोस्ट देखी नहीं लेकिन आप बारहा(http://baraha.com) काहे नहीं आजमाते?
सबसे सुगम लगता है मुझे तो यह।

Nitin Bagla ने कहा…

कोटा से ब्लागर देख कर खुशी हुई दिनेश जी...
हम भी आपके आसपास के ही हैं
:)